२२ एप्रिल २०२२

महाधिवक्ता सामान्य (Advocate General General)

महाधिवक्ता सामान्य (Advocate General General)
कलम १६५ महाधिवक्तापदाची तरतुदी
नेमणूक =राज्यपाल (अट =उच्च न्यायालत न्यायधीस म्हणून नेमणूक)

महाधिवक्ता कार्य


सर्वोच्च अधिकारी म्हणून कार्य करतात

राज्यपालाद्वारे संदर्भित केल्या जातील अशा विधिविषयक बाबींवर राज्य सरकारला सल्ला देणे

राज्याच्या क्षेत्रातील सर्व न्यायालयामध्ये सुनावणी व ऐकून घेतले जाण्याचा अधिकार आहे.

महाधिवक्ता अधिकार

कलम १७७ = राज्य विधानमंडळाच्या दोन्ही सदनामध्ये आणि ते सदस्य असलेल्या समितीमध्ये बोलण्याचा व कामकाजात भाग घेण्याचा अधिकार आहे पण तेथे मतदान करण्याचा अधिकार नाही.


कलम १९४ = त्यांना राज्य विधिमंडळ सदस्याप्रमाणे सर्व विशेषाधिकार व संरक्षण प्राप्त होते.

महाधिवक्ता इतर

ते राज्य सरकारचे पूर्ण काळ वकील नाहीत आणि सरकारी सेवक या गटात मोडत नाही तसेच ते खाजगी वाकली करू शकतात

राज्याच्या कार्यकारी मंडळात समावेश होतो.

राज्याचा सर्वोच्च कायदा अधिकारी असतो.

राज्यपाल निर्धारित करतील असे मानधन प्राप्त होतात.

राज्य कॅबिनेटचे सदस्य नसतात.

महान्यायवादी म्हणजे काय?महान्यायवादी पदाविषयी घटनात्मक आधार? महान्यायवादी यांची नेमणूक कोण करते?महान्यायवादी यांचा कार्यकाल? महान्यायवादी यांची  कामे

महान्यायवादी म्हणजे काय? महान्यायवादी यांचे कार्य काय? सध्या भारताचे महान्यायवादी कोण आहेत? हे आणि असे असंख्य प्रश्न आपल्याला पडलेले असतात. या प्रश्नांची घटनात्मक उत्तरे मांडणारा हा लेख. mahanyaywadi|Attorney General of India

भारतीय प्रशासन व्यवस्थेमध्ये कायदेमंडळ, कार्यकारी मंडळ आणि न्यायमंडळ हे सर्वोच्च महत्त्वाचे घटक आहेत.  या मुख्य मंडळासोबत महान्यायवादी mahanyaywadi हा सुद्धा केंद्रीय कार्यकारी मंडळाचा महत्त्वाचा घटक आहे.

महान्यायवादी Attorney General of India म्हणजे काय?
महान्यायवादी म्हणजे केंद्रीय कार्यकारी मंडळाचा सर्वोच्च कायदा अधिकारी होय. भारतातील राज्य सरकार नव्हे तर केंद्रीय सरकारचा कायदाविषयक अधिकारी म्हणजे महान्यायवादी होय.  केंद्र सरकारच्या कायदेविषयक बाबी मध्ये महान्यायवादी यांची भूमिका महत्त्वाची ठरते.

महान्यायवादी पदाविषयी घटनात्मक आधार
भारतीय राज्यघटनेच्या भाग पाच मध्ये देशाच्या कार्यकारी यंत्रणेविषयी स्पष्टीकरणे देण्यात आलेली आहेत.  महान्यायवादी कार्यकारी यंत्रणेचा भाग असल्यामुळे या पदाविषयी तरतूद भाग-5 मध्ये दिसून येते.

भारतीय राज्य घटनेच्या भाग-5 मध्ये कलम 76 मध्ये भारताचा महान्यायवादी विषयक तरतुदी दिलेल्या आहेत. कलम 76 सोबत काही प्रकरणांच्या विभाजना मध्ये  महान्यायवादी विषयक तरतुदी दिसून येतात.

महान्यायवादी यांची नेमणूक कोण करते?
महान्यायवादी यांची नेमणूक भारताचे राष्ट्रपती  मंत्रिमंडळाच्या सल्ल्याने करीत असतात.  सर्वोच्च न्यायालयाचा न्यायाधीश म्हणून नेमणूक होण्यास पात्र असलेल्या व्यक्तीची महान्यायवादी म्हणून नेमणूक केली जाते.  महान्यायवादी म्हणून या पदासाठी वेगळी  पात्रता घटनेमध्ये सांगितलेली नाही.

असे मानले जाते की मंत्रिमंडळाने राजीनामा दिल्यास किंवा मंत्रिमंडळ बदलले तरी महान्यायवादी सुद्धा आपल्या पदाचा राजीनामा देतात कारण मंत्रिमंडळाच्या सल्ल्यानुसार महान्यायवादी यांची नेमणूक झालेली असते

महान्यायवादी यांचा कार्यकाल

या पदाचा कार्यकाल भारतीय राज्यघटनेत निश्चित करण्यात आलेला नाही. त्यांना पदावरून दूर करण्याची पद्धत देण्यात आलेली नाही.  यावरून स्पष्ट होते की महान्यायवादी राष्ट्रपतींची मर्जी असेपर्यंत पद धारण करतात याचाच दुसरा अर्थ असा होतो की राष्ट्रपती त्यांना केव्हाही पदावरून दूर करू शकतात.  महान्यायवादी यांना राजीनामा द्यायचा असेल तर तो राष्ट्रपतींच्या नावे द्यावा लागतो.

महान्यायवादी यांची  कामे

भारत सरकारला विधीविषयक  म्हणजेच कायदेविषयक बाबी वरती सल्ला देणे.
राष्ट्रपतींच्या कडून नेमून दिली जातील अशी विधिविषयक कामे करणे.
भारतीय राज्यघटनेत नमूद असलेली व  अन्य कायद्याने त्यांच्याकडे सोपविलेली कामे पार पाडणे.
भारत सरकार संबंधित जे दावे सर्वोच्च न्यायालयात आहेत त्यामध्ये भारत सरकारचा प्रतिनिधी म्हणून कार्य करणे.
उच्च न्यायालयातील कोणत्याही दाव्यात भारत सरकारचा सहभाग असेल तर त्या दाव्यांमध्ये सरकारच्यावतीने उपस्थित राहणे.
महान्यायवादी / mahanyaywadi यांचे अधिकार

भारताच्या क्षेत्रातील सर्व  न्यायालयामध्ये सुनावणी चा अधिकार महान्यायवादी यांना आहे
संसदेच्या दोन्ही सभागृहांमध्ये  किंवा संयुक्त बैठकीमध्ये बोलण्याचा व कामकाजात भाग घेण्याचा अधिकार आहे.  कामकाजातील  एखाद्या विषयावर ती जर मतदान होणार असेल तर मतदानाचा अधिकार मात्र नाही.
महान्यायवादी हे भारत सरकारचे कायदेविषयक सल्लागार असल्याने काही मर्यादा त्यांच्यावरती ठेवण्यात आलेल्या आहेत
एखाद्या व्यक्ती  महान्यायवादी म्हणून कार्यरत असताना भारत सरकार विरुद्ध कोणालाही सल्ला देऊ शकत नाही.
भारत सरकारचा वकील म्हणून कार्यरत असताना भारत सरकारच्या संमतीशिवाय कोणत्याही फौजदारी गुन्ह्याचा दोष असलेल्या व्यक्तीचा बचाव करू शकत नाहीत.
उपरोक्त सर्व बाबी वरून महान्यायवादी mahanyaywadi यांच्याविषयी असे लक्षात येते की,  महान्यायवादी हे भारत सरकारचे पूर्णवेळ वकील नाहीत.  सरकारी सेवक सुद्धा नाहीत आणि  ते खाजगी वकिली सुद्धा करू शकतात.

सध्या भारताचे महान्यायवादी mahanyaywadi कोण आहेत?
mahanyaywadi
mahanyaywadi

के के वेणुगोपाल (कोट्टायण कटणकोट वेणुगोपाल) (Kottayan Katankot Venugopal) सध्या भारताचे महान्यायवादी म्हणून कार्यरत आहेत.  के के वेणुगोपाल हे 2017 पासून भारताचे महान्यायवादी म्हणून कार्यरत आहेत.  20 जून 2020 रोजी पुन्हा त्यांची पुनर्नियुक्ती महान्यायवादी म्हणून करण्यात आलेली आहे. २०२३ पर्यंत के के वेणुगोपाल (कोट्टायण कटणकोट वेणुगोपाल) हे भारताचे महान्यायवादी असतील.

महान्यायवादी (भारत) भारत सरकार के मुख्य कानूनी अधिकारी

महान्यायवादी (भारत)
भारत सरकार के मुख्य कानूनी अधिकारी

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भारत का महान्यायवादी (Attorney General) भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार तथा भारतीय उच्चतम न्यायालय में सरकार का प्रमुख वकील होता है।

K K Venugopal, Attorney General of India
के के वेणुगोपाल, भारत के महान्यायवादी
भारत के महान्यायवादी (अनुच्छेद 76) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। जो व्यक्ति supreme court न्यायाधीश बनने की योग्यता रखता है, ऐसे किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति महान्यायवादी के पद पर नियुक्त कर सकते हैं।

देश के महान्यायवादी का कर्तव्य कानूनी मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देना और कानूनी प्रक्रिया की उन जिम्मेदारियों को निभाना है जो राष्ट्रपति की ओर से उनके पास भेजे जाते हैं। इसके अतिरिक्त संविधान और किसी अन्य कानून के अंतर्गत उनका जो काम निर्धारित है, उनका भी पालन उन्हें पूरा करना होता है। अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान उन्हें देश के किसी भी न्यायालय में उपस्थित होने का अधिकार है। उन्हें संसद की कार्यवाही धारा 88 के अनुसार भाग लेने का अधिकार है, हालांकि उनके पास मतदान का अधिकार नहीं होता। उनके कामकाज में सहायता के लिए सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल होते हैं।

अनुच्छेद 76 और 88 भारत के महान्यायवादी के साथ संबन्धित है| भारत के महान्यायवादी देश का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है। वह सभी कानूनी मामलों में सरकार की सहायता के लिए जिम्मेदार होता है। राष्ट्रपति, महान्यायवादी की नियुक्त करता है| जो व्यक्ति (महान्यायवादी) नियुक्त किया जाता है उसकी योग्यता सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश होने लायक होनी चाहिए। वह भारत का नागरिक होना चाहिए और दस साल के लिए उच्च न्यायलय में वकील के रूप में कार्य करने का अनुभव होना चाहिए|

नियुक्ति और पदावधि

संविधान, महान्यायवादी को निश्चित पदअवधि प्रदान नहीं करता है। इसलिए, वह राष्ट्रपति की मर्ज़ी के अनुसार ही कार्यरत रहता है| उसे किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है| उसे हटाने के लिए संविधान में कोई भी प्रक्रिया या आधार उल्लेखित नहीं है।

महान्यायवादी वही पारिश्रमिक प्राप्त करता है जो राष्ट्रपति निर्धारित करता है| संविधान ने महान्यायवादी का पारिश्रमिक निर्धारित नहीं किया है।

कर्तव्य और कार्य

महान्यायवादी के कर्तव्य और कार्य निम्नलिखित हैं:

(1) वह कानूनी मामलों पर भारत सरकार को सलाह देता है जो राष्ट्रपति द्वारा उसे भेजे या आवंटित किए जाते हैं|

(2) वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे या आवंटित किए गए कानूनी चरित्र के अन्य कर्तव्यों का प्रदर्शन करता है।

(3) वह संविधान के द्वारा या किसी अन्य कानून के तहत उस पर सौंपे गए कृत्यों का निर्वहन करता है ।

अपने सरकारी कर्तव्यों के निष्पादन में,

(1) वह भारत सरकार का विधि अधिकारी होता है, जो सुप्रीम कोर्ट में सभी मामलों में भारत सरकार का पक्ष रखता है।

(2) जहाँ भी भारत की सरकार को किसी क़ानूनी सलाह की जरुरत होती है, वह अपनी राय से सरकार को अवगत कराता है ।

अधिकार और सीमाएं

महान्यायवादी के अधिकार निम्नलिखित हैं:

(1) अपने कर्तव्यों के निष्पादन में, वह भारत के राज्य क्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है।

(2) उसे संसद के दोनों सदनों या उनके संयुक्त बैठकों की कार्यवाही में हिस्सा लेने का अधिकार है, परंतु उसे वोट देने का अधिकार नहीं है (अनुच्छेद 88)|

(3) उसे संसद की किसी भी समिति में जिसमें वह सदस्य के रूप में नामांकित हो बोलने का अधिकार या भाग लेने का अधिकार है, परंतु वोट डालने का अधिकार नहीं है (अनुच्छेद 88)|

(4) वह उन सभी विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षाओं को प्राप्त करता है जो संसद के एक सदस्य के लिए उपलब्ध होतीं है|

नीचे वर्णित महान्यायवादी पर निर्धारित की गई सीमाएं हैं:

(1) वह अपनी राय को भारत सरकार के ऊपर थोप नहीं सकता है|

(2) वह भारत सरकार की अनुमति के बिना आपराधिक मामलों में आरोपियों का बचाव नहीं कर सकता है ।

(3) वह सरकार की अनुमति के बिना किसी भी कंपनी में एक निदेशक के रूप में नियुक्ति को स्वीकार नहीं कर सकता है|

यह ध्यान दिये जाने वाली बात है कि महान्यायवादी को निजी कानूनी अभ्यास से वंचित नहीं किया जाता है| वह सरकारी कर्मचारी नहीं होता है क्योंकि उसे निश्चित वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है और उसका पारिश्रमिक राष्ट्रपति निर्धारित करता है|

भारत के महान्यायवादियों की सूची::
भारत के अटॉर्नी जनरल, भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है, और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का मुख्य वकील होता है. भारत के अटॉर्नी जनरल को संविधान की धारा 76 (1) के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत अपने पद पर रहता है. इसे देश का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी भी कहा जाता है.

भारत के वर्तमान अटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल हैं. उन्हें भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा नियुक्त किया गया था. उन्होंने औपचारिक रूप से 30 जून 2017 से अपना पद ग्रहण किया था और उनका कार्यकाल 3 साल का होगा. इनका कार्यकाल अब वर्तमान में बढ़ा दिया गया है वर्तमान में के के वेणुगोपाल भारत के 15 वें अटॉर्नी जनरल होंगे.

इस लेख में भारत के अब तक के सभी अटॉर्नी जनरल या महान्यायवादियों के नाम दिए जा रहे हैं.

महान्यायवादी (नाम) कार्यकाल
1. एम सी सीतलवाड़ (सबसे लंबा कार्यकाल) 28 जनवरी 1950 – 1 मार्च 1963
2. सी.के. दफ्तरी 2 मार्च 1963 – 30 अक्टूबर 1968
3. निरेन डे 1 नवंबर 1968 – 31 मार्च 1977
4. एस वी गुप्ते 1 अप्रैल 1977 – 8 अगस्त 1979
5. एल.एन. सिन्हा 9 अगस्त 1979 – 8 अगस्त 1983
6. के परासरण 9 अगस्त 1983 – 8 दिसंबर 1989
7. सोली सोराबजी (सबसे छोटा कार्यकाल) 9 दिसंबर 1989 – 2 दिसंबर 1990
8. जी रामास्वामी 3 दिसंबर 1990 – 23 नवंबर 1992
9. मिलन के. बनर्जी 21 नवंबर 1992 – 8 जुलाई 1996
10. अशोक देसाई 9 जुलाई 1996 – 6 अप्रैल 1998
11. सोली सोराबजी 7 अप्रैल 1998 – 4 जून 2004
12. मिलन के. बनर्जी 5 जून 2004 – 7 जून 2009
13. गुलाम एस्सजी वाहनवति 8 जून 2009 – 11 जून 2014
14. मुकुल रोहतगी 12 जून 2014 – 30 जून 2017
15. के.के. वेणुगोपाल 30 जून 2017 से अभी तक
नियुक्ति और पदावधि

संविधान, महान्यायवादी को निश्चित पद अवधि प्रदान नहीं करता है. इसलिए, वह राष्ट्रपति की मर्ज़ी के अनुसार ही कार्यरत रहता है. उसे किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है. उसे हटाने के लिए संविधान में कोई भी प्रक्रिया या आधार उल्लेखित नहीं है. महान्यायवादी वही पारिश्रमिक प्राप्त करता है जो राष्ट्रपति निर्धारित करता है. संविधान के महान्यायवादी का पारिश्रमिक निर्धारित नहीं किया है.अनुच्छेद 88 के अनुसार संसद के संयुक्त अथिवेशन मे भाग लेता है| संसद का सदस्य न होने के वाबजूद इन्हे वो सभी अनुलाभ मिलता है जो किसी संसद को मिलता है|

भारताचा महान्यायवादी

भारताचा महान्यायवादी : भारतीय राज्यव्यवस्थेतील सर्वोच्च कायदा अधिकारी, सरकारचा मुख्य कायदेविषयक सल्लागार. महान्यायावादी या पदाची भारतीय राज्यघटनेत कलम ७६ मध्ये स्वतंत्र तरतूद आहे. महान्यायवादी यांची नियुक्ती केंद्रीय कायदेमंडळाच्या शिफारसीनुसार राष्ट्रपतीद्वारा होते. सर्वोच्च न्यायालयात न्यायाधीशपदी नियुक्ती अर्हता असणे वा न्यायाधीश म्हणून ५ वर्षे कार्य केले असणे वा उच्च न्यायलयात १० वर्ष वकिली केली असणे या पद्धतीच्या अर्हता धारण करणाऱ्या कायदेविषयक निष्णात व्यक्तीस महान्यायवादी म्हणून नियुक्त केले जाते. राज्यघटनेत कार्यकाल आणि पदच्युत्तीची प्रक्रिया नमूद नाही. याबाबतीत राष्ट्रपतीची मर्जी महत्त्वाची आहे. महान्यायवादीस आपल्या पदाचा राजीनामा राष्ट्रपतीस सादर करावा लागतो.

विधीविषयक बाबीवर सरकारला कायदेशीर सल्ला देणे हे महान्यायवादी यांचे प्रमुख कार्य आहे. राज्यघटनेत नमूद असलेली आणि शासन वेळोवेळी सोपवेल ती कायदेविषयक इतर कार्ये त्याला करावी लागतात. सर्वोच्च न्यायालय आणि भारतीय राज्यक्षेत्रातील इतर कुठल्याही न्यायालयात सरकारच्या वतीने त्याला बाजू मांडावी लागते. संविधानातील कलम १४३ नुसार सार्वजनिक व सामरिकदृष्ट्या लोकमहत्वाच्या विषयावर राष्ट्रपती सर्वोच्च न्यायालयाचे मत मागवितो. यावेळी राष्ट्रपतीचे पर्यायाने सरकारचे प्रतिनिधत्व महान्यायवादी करीत असतो. भारतीय संसदेच्या संयुक्त बैठकीत, समितीत, सदनात उपस्थित राहण्याचा त्याला अधिकार आहे; मात्र प्रस्तावावर मतदानाचा अधिकार नाही. भारतीय संविधानाच्या कलम १०५ नुसार जे विशेषाधिकार संसद सदस्याला प्राप्त असतात ते विशेषाधिकार महान्यायवादीस प्राप्त आहेत.

भारताचा सर्वोच्च कायदा अधिकारी म्हणून सरकारचे कायदेविषयक कार्य करताना त्याच्यावर निर्बंधाचे काही संकेत आहेत. त्या संकेतात त्याने भारत सरकारविरुद्ध सल्ला देऊ नये, भारत सरकारच्या  परवानगीशिवाय फौजदारी बाजू मांडू नये या काही बाबींचा समावेश होतो. असे असले तरी त्याला कायदा व्यवसाय करण्यास त्याला प्रतिबंध नाही. त्याची भूमिका ही पूर्णवेळ सल्लागार वा सरकारी कर्मचारी अशी नाही.

महान्यायवाद्यास सहकार्य करण्यासाठी महान्याय अधिकर्ता आणि अतिरिक्त महान्याय अधिकर्ता अशी पदे निर्माण केली गेली आहेत. त्यांचा घटनेत उल्लेख नाही. राज्याविधीमंडळ स्तरावर राज्यास कायदेविषयक सल्ला देण्यासाठी महाधिवक्ता अशा पदाची तरतूद आहे.

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भारताचा महान्यायवादी


 (ॲटर्नी जनरल ऑफ इंडिया) भारत सरकारचा कायदेशीर सल्लागार व सर्वश्रेष्ठ सरकारी वकील. भारतीय संविधानात महान्यावादीची तरतूद करण्यात आली असून संविधानाच्या ७६ व्या अनुच्छेदानुसार राष्ट्रपती त्याची नेमणूक करतात. भारतीय नागरिकत्व आणि सर्वोच्य न्यायालयात न्यायाधीश म्हणून नेमणूक होण्यास पात्र असलेली व्यक्तीच या पदासाठी पात्र समजली जाते. राष्ट्रपतींची मर्जी असेपर्यंतच अशा व्यक्तीस या अधिकारपदावर राहता येते. राष्ट्रपतींनी विचारलेल्या कायदेविषयक बाबींवर भारत सरकारला सल्ला देणे, नेमून दिलेली इतर विधिविषयक कामे पार पाडणे, केंद्र सरकारतर्फे दिवाणी व फौजदारी दावे चालविणे इ. महान्यायवादीची प्रमुख कामे होत. यांशिवाय योग्य न्यायासाठी एखाद्या उच्च न्यायालयातील खटला दुसऱ्या उच्च न्यायालयात चालविण्यासाठी सर्वोच्य न्यायालयाकडे अर्ज करणे, अधिवक्ता कायद्याखाली भारतीय वकील परिषदेने एखाद्या अधिवक्त्याच्या व्यावसायीक अथवा इतर गैरवर्तनाबद्दल दिलेला आदेश अन्यायकारक वाटल्यास सर्वोच्य न्यायालयाकडे अर्ज करणे इ. कामेही महान्यायवादीला करावी लागतात.


महाधिवक्त्याप्रमाणेच महान्यायवादी हा वकील व्यवसायाचे नेतृत्व करतो. एखाद्या वकिलाविरूद्ध गैरवर्तणूक अथवा भ्रष्टाचार या आरोपांच्या चौकशीसंबंधात महान्यायवादीस माहिती देण्यात येते. त्याबाबत त्याला आपले म्हणणे न्यायाधिकरणापुढे मांडण्याचा किंवा न्यायाधिकरणाच्या निर्णयाविरूद्ध अपील करण्याचा अधिकार देण्यात आला आहे.

महान्यायवादीस भारतातील सर्व न्यायालयांत युक्तीवाद करण्याचा अधिकार आहे. संसदेच्या दोन्ही सभागृहांतील कामकाजात तसेच सभागृहांच्या संयुक्त बैठकीत, मतदानाचा हक्क सोडून, त्याला भाग घेण्याचा अधिकार आहे. याशिवाय एखाद्या समितीत सदस्य असल्यास त्या समितीच्या बैठकीत भाषण करण्याचा व कामकाजात भाग घेण्याचा त्याला अधिकार आहे.

महिला व बालविकास विभाग, महाराष्ट्र शासन

महिला व बालविकास विभाग, महाराष्ट्र शासन

लेखाचा / विभागाचा विस्तार करण्यास मदत करा.
महिला व बालविकास विभाग, महाराष्ट्र शासन हा महाराष्ट्र शासनाचा एक विभाग आहे. ह्या विभागाची स्थापना 1993 साली करण्यात आली. महिला व बालविकास स्वतंत्र खाते सुरू करणारे महाराष्ट्र हे देशातील प्रथम राज्य आहे. महिला व बालविकास विभागातील (गट अ व ब) संवर्गातील राजपत्रित पदे महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग.(MPSC) मार्फत महिला व बालविकास विभाग सुधारित सेवा प्रवेश नियम 2021 व 2022 नुसार कायदेशीर दृष्टीने सामाजिक राज्यसेवा म्हणजेच (सरळसेवा) स्पर्धात्मक परिक्षेच्या मार्फत भरली जातात.

स्पर्धात्मक परीक्षा :- सामाजिक राज्यसेवा म्हणजेच (सरळसेवा) होय.
महिला व बालविकास विभागातील राजपत्रित (गट अ व ब) संपूर्ण पदे हे १९९३ पासून ते आजपर्यंत , सामाजिक राज्यसेवा स्पर्धा परिक्षेतून भरली जातात.

अंतर्गत विभाग
महिला व बालविकास विभाग
राजमाता जिजाऊ माता - बालआरोग्य व पोषण मिशन
महिला आर्थिक विकास महामंडळ मर्या.

सामान्य प्रशासन विभाग महाराष्ट्र शासन

सामान्य प्रशासन विभाग, महाराष्ट्र शासन

Wiki letter w.svg सामान्य प्रशासन विभाग, महाराष्ट्र शासन संस्थेबद्दलचा मराठी विकिपीडिया वरील केवळ विश्वकोशीय लेख आहे. अधिक माहिती सामान्य प्रशासन विभाग, महाराष्ट्र शासन संस्थेबद्दलचे अधिकृत संकेतस्थळ नमूद केले असल्यास तेथे पाहावी अथवा येथे शोधावी
Disambig-dark.svgनेहमीचे प्रश्न आणि उत्तरदायकत्वास नकार



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सामान्य प्रशासन विभाग हा महाराष्ट्र शासनाचा एक विभाग आहे. सामान्य  प्रशासन विभागात मुख्य सचिवांसह सात अपर मुख्य सचिव कार्यरत आहेत.

अंतर्गत विभाग
सामान्य प्रशासन विभाग
मुख्य निवडणूक अधिकारी
माहिती व जनसंपर्क
राजभवन
राजीव गांधी विज्ञान तंत्रज्ञान आयोग
मुख्य माहिती आयुक्त
महाराष्ट्र विमानतळ विकास कंपनी
महान्यूज
महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग
महाराष्ट्र राज्य माजी सैनिक महामंडळ
महाराष्ट्र प्रशासकीय न्यायाधिकरण
लोक आयुक्त महाराष्ट्र

महाराष्ट्र शासनाचे विभाग

महाराष्ट्र शासनाचे विभाग

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ही भारताच्या महाराष्ट्र शासनाच्या विविध विभागांची यादी आहे. याचा अनुक्रम संकेतस्थळावर असलेल्या यादीप्रमाणेच आहे.

विभागांची नावे
१. सामान्य प्रशासन
२. माहिती व तंत्रज्ञान
३. गृह
४. महसूल
५. वन
६. कृषी
७. कृषी, पशुसंवर्धन, दुग्ध व मत्स्य व्यवसाय
८. शालेय शिक्षण आणि क्रीडा
९. नगरविकास
१०. सार्वजनिक बांधकाम (१)
११. वित्त
१२. उद्योग
१३. वैद्यकीय शिक्षण व औषधीद्रव्ये
१४. जलसंपदा
१५. विधी व न्याय
१६. ग्रामविकास व पंचायत राज
१७. अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण
१८. नियोजन
१९. सामाजिक न्याय व विशेष सहाय्य
२०. जलसंधारण व रोजगार हमी योजना
२१. गृहनिर्माण विभाग
२२. पाणी पुरवठा व स्वच्छता
२३. सार्वजनिक आरोग्य
२४. आदिवासी विकास
२५. पर्यावरण
२६. सहकार, पणन आणि वस्त्रोद्योग
२७. वस्त्रोद्योग विभाग
२८. उच्च व तंत्र शिक्षण
२९. उर्जा
३०. मराठी भाषा विभाग, (भाषा संचालनालय)
३१. पर्यटन व सांस्कृतिक कार्य
३२. अल्पसंख्यांक विकास
३३. कौशल्य विकास व उद्योजकता
३४. परिवहन
३५. महिला व बालविकास
३६. संसदीय कार्य
३७. कामगार

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