२१ एप्रिल २०२२

राजनीति

राजनीति

राजनीति दो शब्दों का एक समूह है राज+नीति। (राज मतलब शासन और नीति मतलब उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने की कला) अर्थात् नीति विशेष के द्वारा शासन करना या विशेष उद्देश्य को प्राप्त करना राजनीति कहलाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो जनता के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर (सार्वजनिक जीवन स्तर)को ऊँचा करना राजनीति है । नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है।

राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना,विधि बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर।

राजनीति का इतिहास अति प्राचीन है जिसका विवरण विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म ग्रन्थों में देखनें को मिलता है । राजनीति कि शुरुआत रामायण काल से भी अति प्राचीन है। महाभारत महाकाव्य में इसका सर्वाधिक विवरण देखने को मिलता है । चाहे वह चक्रव्यूह रचना हो या चौसर खेल में पाण्डवों को हराने कि राजनीति । अरस्तु को राजनीति का जनक कहा जाता है। आम तौर पर देखा गया है कि लोग राजनीति के विषय में नकारात्मक विचार रखते हैं , यह दुर्भाग्यपूर्ण है ,हमें समझने की आवश्यकता है कि राजनीति किसी भी समाज का अविभाज्य अंग है ।महात्मा गांधी ने एक बार टिप्पणी की थी कि राजनीति ने हमें सांप की कुंडली की तरह जकड़ रखा है और इससे जूझने के सिवाय कोई अन्य रास्ता नहीं है ।राजनीतिक संगठन और सामूहिक निर्णय के किसी ढांचे के बिना कोई भी समाज जीवित नहीं रह सकता ।

राजनेता संपादित करें
राजनेता (अंग्रेजी: Statesman) उस व्यक्ति को कहते हैं जो मूलत: राजनीतिक दर्शन के आधार पर राजनीति के क्षेत्र में कभी भी नीतिगत सिद्धान्तों से समझौता नहीं करता। उदाहरण के लिए लाल बहादुर शास्त्री (कांग्रेस), अटल बिहारी वाजपेयी (भाजपा), राममनोहर लोहिया (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी) और वर्तमान में नरेन्द्र मोदी।

राजनीतिशास्त्र की परम्परा संपादित करें
भारतीय साहित्य में राजनीति-विषयक ग्रन्थों के निर्माण की परम्परा बहुत प्राचीन है। कल्पसूत्र उसके आदि स्रोत हैं, जिनका निर्माण लगभग ७०० ई० पूर्व में हो चुका था। धर्म और अर्थ के साथ राजनीति की विस्तृत चर्चाएँ धर्मसूत्रों, विशेषरूप से बौधायन धर्मसूत्र में देखने को मिलती हैं। इस दृष्टि से बौद्ध जातकों के सन्दर्भ भी महत्त्वपूर्ण हैं, जिनकी रचना तथागत से पहले लगभग ६००ई० पूर्व में मानी जाती है। जातकों में अर्थ के अन्तर्गत ही राजनीति का समन्वय किया गया है और उसे प्रमुख विज्ञान के रूप में माना गया है।

राजनीति-विषयक बातों की विस्तृत चर्चा 'महाभारत' ( ५०० ई० पूर्व) में देखने को मिलती है । 'महाभारत' के शान्तिपर्व ( अध्याय ५८, ५९ ) में इस परम्परा के प्राचीन आचार्यों का उल्लेख हुआ है। उनमें प्रजापति के 'राजशास्त्र' का भी उल्लेख हुआ है। इससे ज्ञात होता है कि राजनीति को एक प्रमुख विषय के रूप में माना जाने लगा था। कौटिल्य का 'अर्थशास्त्र' ( ३०० ई० पूर्व) इस विषय का प्रौढ़ ग्रन्थ है। उसके अध्ययन से ज्ञात होता है कि राजनीति को एक स्वतन्त्र शास्त्र के रूप में मान्यता प्राप्त हो गई थी। राजनीति पर लिखा गया आचार्य उशनस् का 'दण्डनीतिशास्त्र' सम्भवतः इस परम्परा का ग्रन्थ था, जिसका उल्लेख विशाखदत्त के 'मुद्राराक्षस' (१७ ) में देखने को मिलता है। उसके बाद लगभग चौथी शती ई० तक धर्म और अर्थ विषय पर लिखे गये ग्रन्थों में राजनीति की विस्तृत चर्चाएं देखने को मिलती हैं। धर्म और अर्थ का प्रमुख अङ्ग होने के कारण राजनीति का महत्त्व सभी धर्मवक्ताओं एवं अर्थशास्त्रियों ने स्वीकार किया।

राजनीति पर एक सर्वाङ्गीण बृहद् ग्रन्थ की रचना आचार्य शुक्र ने की थी, जिसको कि 'शुक्रनीतिसार' के नाम से कहा जाता है। इस ग्रन्थ का उल्लेख मध्ययुगीन स्मृतिकारों ने किया है। अनेक ग्रन्थों में उसके उदाहरण भी देखने को मिलते हैं। 'राजनीति-रत्नाकर' में भी उसके अंश उद्धृत हैं। आचार्य शुक्र के राजनीति-विषयक ग्रन्थ के आधार पर ४०० ई० के लगभग आचार्य कामन्दक ने 'नीतिसार' के नाम से एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ की रचना की। विद्वानों का अभिमत है कि कामन्दकीय 'नीतिसार' भी अपने मूल रूप में उपलब्ध नहीं है। सम्प्रति उसका जो रूप उपलब्ध है, वह १७ वीं श० ई० का पुनः संस्करण है।

राजनीति-विषयक चर्चाओं की दृष्टि से पुराणों का विशेष महत्त्व है। 'अग्निपुराण' और 'मत्स्यपुराण' इस दृष्टि से उल्लेखनीय हैं। इन दोनों पुराणों के उल्लेखों से ज्ञात होता है कि वे अपने पूर्ववर्ती राजनीति-विषयक ग्रन्थों की प्रौढ़ परम्परा के सूचक हैं। इन पुराणों की रचना ५वीं से ७वीं श० ई. के बीच मानी जाती है।

इस परम्परा में आचार्य बृहस्पति के 'अर्थशास्त्र' और सोमदेव के 'नीतिवाक्यामृत' का नाम विशेषरूप से उल्लेखनीय है। बृहस्पति का 'अर्थशास्त्र' अपने मूल रूप में बहुत प्राचीन है, किन्तु जिस रूप में आज वह उपलब्ध है उसे ९वीं-१०वीं श० ई० का पुनः संस्करण बताया जाता है। 'नीतिवाक्यामृत' को भी इसी समय की रचना माना जाता है। उसके रचनाकार सोमदेव 'कथासरित्सागर' के रचयिता से भिन्न थे।

ऐसा प्रतीत होता है कि १०वीं श० ई. के बाद विद्वानों का ध्यान राजनीति विषय की ओर विशेष रूप से केन्द्रित हुआ। इस सन्दर्भ में जैनाचार्य हेमचन्द्र ( १२ वीं श०) का 'लघ्वर्हनीति' और धारानरेश भोज (१२ वीं श०) का 'युक्तिकल्पतरु' का नाम विशेषरूप से उल्लेखनीय है। १४वीं से १८वीं श० ई० के बीच इस विषय पर जिन महत्त्वपूर्ण कृतियों का निर्माण हुआ उनमें 'राजनीति रत्नाकर', 'राजनीति कल्पतरु', 'राजनीति कामधेनु', 'वीरमित्रोदय' और 'राजनीति मयूख' का नाम उल्लेखनीय है। प्रथम तीन ग्रन्थों के निर्माता चण्डेश्वर या चन्द्रशेखर और अन्त के दोनों ग्रन्थों के निर्माता क्रमशः मित्रमिश्र और नीलकण्ठ हैं।

विधान सभा

विधान सभा
राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि सै बनी सभा

ऊपरी सदन के लिए, विधान परिषद देखें।
विधान सभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन(द्विसदनीय राज्यों में) या सोल हाउस (एक सदनीय राज्यों में ) भी कहा जाता है। [1]दिल्ली व पुडुचेरी नामक दो केंद्र शासित राज्यों में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है। 7 द्विसदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है।

विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है। इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते। हालाँकि विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम हो सकता है संसद के एक अधिनियम के द्वारा: जैसे गोवा , सिक्किम , मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी। कुछ राज्यों में राज्यपाल 1 सदस्य को अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है , उदा० ऐंग्लो इंडियन समुदाय अगर उसे लगता है कि सदन में अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राज्यपाल के द्वारा चुने गए या नियुक्त को विधान सभा सदस्य या MLA कहा जाता है।

प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है। आपातकाल के दौरान, इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है। विधान सभा का एक सत्र वैसे तो पाँच वर्षों का होता है पर लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पाँच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है लेकिन एक समय में केवल छः महीनों के लिए। विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है। राज्य विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी केन्द्रीय चुनाव आयोग की होती है

सदस्य बनने हेतु योग्यता
विधानसभा का सदस्य बनने के लिए, व्यक्ति को भारत का नागरिक होना आवश्यक है , वह 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो। वह मानसिक रूप से ठीक व दीवालिया न हो। उसको अपने ऊपर कोई भी आपराधिक मुकदमा न होने का प्रमाण पत्र भी देना होता है। लोकसभा अध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में उप अध्यक्ष सदन में कार्य के लिए उत्तरदायी होता है। अध्यक्ष एक न्यूट्रल जज के रूप में काम करता है और सारी बहसों और परामर्शों को संभालता है। प्रायः वह बलशाली राजनितिक पार्टी का सदस्य होता है। विधान सभा में भी राज्य सभा व विधान परिषद के सामान ही क़ानूनी ताकतें होती हैं केवल मनी बिल्स के क्षेत्र को छोड़कर जिसमें विधान सभा सर्वोच्च अधिकारी है।

विधान सभा की विशेष शक्तियां
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव केवल विधान सभा में पारित किया जा सकता है। अगर यह बहुमत के साथ पारित हो जाता है तो उसके बाद मुख्यमंत्री और उसके मंत्रियों की परिषद् सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देते हैं।

मनी बिल को केवल विधानसभा में लाया जा सकता है। द्विसदनीय प्रणालियों में विधान सभा से पास हो जाने के बाद इसे विधान परिषद् के पास भेजा जाता है जहाँ इसे अधिकतम 14 दिनों के लिए रखा जा सकता है।

साधारण बिलों में विधान सभा का ही मत चलता है और यहाँ संयुक्त बैठक का भी कोई प्रावधान नहीं होता। इस तरह के मामलों में, विधान परिषद् विधानसभा को केवल 4 महीनों ( बिल लाने पर पहली बार 3 महीनों के लिया व दूसरी बार 1 महीनों के लिए ) स्थगित किया जा सकता है।

राज्यपाल (भारत)

राज्यपाल (भारत)

अधिक जानकारी के लिए देखें: भारतीय राज्यों के वर्तमान राज्यपालों की सूची
भारत का संविधान संघात्मक है। इसमें संघ तथा राज्यों के शासन के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। संविधान के भाग 6 में राज्य शासन के लिए प्रावधान है। राज्य की भी शासन पद्धति संसदीय है। राज्यपाल की नियुक्ति राज्यों में होती है तथा केंद्र प्रशासित प्रदेशों में उपराज्यपाल की नियुक्ति होती है भारत में 8 केंद्र शासित राज्य हैं जिनमें से 3 केंद्र शासित राज्यों में उप राज्यपाल का पद है वह 3 केंद्र शासित राज्य निम्न है अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह ,दिल्ली और पुडुचेरी बाकी चार केंद्र शासित राज्यों में प्रशासक होते हैं वहां पर उप राज्यपाल का पद नहीं होता है वह 5 केंद्र शासित राज्य है। चंडीगढ़ , दमन और दीव/दादरा और नगर हवेली, लक्ष्यदीप जम्मू-कश्मीर, लद्दाख। राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल (गवर्नर) होता है, जो मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करता है। कुछ मामलों में राज्यपाल को विवेकाधिकार दिया गया है, ऐसे मामले में वह मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना भी कार्य करता है।

राज्यपाल अपने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं। इनकी स्थिति राज्य में वही होती है जो केन्द्र में राष्ट्रपति की होती है। केन्द्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल होते हैं।

7 वे संशोधन 1956 के तहत एक राज्यपाल एक से अधिक राज्यो के लिए भी नियुक्त किया जा सकता है।

परिचय
राज्यपाल, राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। वह मंत्रिपरिषद की सलाह से कार्य करता है परंतु उसकी संवैधानिक स्थिति मंत्रिपरिषद की तुलना में बहुत सुरक्षित है। वह राष्ट्रपति के समान असहाय नहीं है। राष्ट्रपति के पास मात्र विवेकाधीन शक्ति ही है जिसके अलावा वह सदैव प्रभाव का ही प्रयोग करता है किंतु संविधान राज्यपाल को प्रभाव तथा शक्ति दोनों देता है। उसका पद जितना शोभात्मक है, उतना ही कार्यात्मक भी है।

अनु 166[2] के अंर्तगत यदि कोई प्रशन उठता है कि राज्यपाल की शक्ति विवेकाधीन है या नहीं तो उसी का निर्णय अंतिम माना जाता है
अनु 166[3] राज्यपाल इन शक्तियों का प्रयोग उन नियमों के निर्माण हेतु कर सकता है जिनसे राज्यकार्यों को सुगमता पूर्वक संचालन हो साथ ही वह मंत्रियों में कार्य विभाजन भी कर सकता है
अनु 200 के अधीन राज्यपाल अपनी विवेक शक्ति का प्रयोग राज्य विधायिका द्वारा पारित बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु सुरक्षित रख सकने में कर सकता है
अनु 356 के अधीन राज्यपाल राष्ट्रपति को राज के प्रशासन को अधिग्रहित करने हेतु निमंत्रण दे सकता है यदि यह संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं चल सकता हो

विशेष विवेकाधीन शक्ति
पंरपरा के अनुसार राज्यपाल राष्ट्रपति को भेजी जाने वाली पाक्षिक रिपोर्ट के सम्बन्ध में निर्णय ले सकता है कुछ राज्यों के राज्यपालों को विशेष उत्तरदायित्वों का निर्वाह करना होता है विशेष उत्तरदायित्व का अर्थ है कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद से सलाह तो ले किंतु इसे मानने हेतु वह बाध्य ना हो और ना ही उसे सलाह लेने की जरूरत पडती हो

राज्यपाल की योग्यता
अनुच्छेद 157 के अनुसार राज्यपाल पद पर नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताओं का होना अनिवार्य है–

1. वह भारत का नागरिक हो,
2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो,
3. वह राज्य सरकार या केन्द्र सरकार या इन राज्यों के नियंत्रण के अधीन किसी सार्वजनिक उपक्रम में लाभ के पद पर न हो,
4. वह राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य हो।
5. वह पागल या दिवालिया घोषित न किया जा चुका हो।
राज्यपाल की नियुक्ति
संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से की जाएगी, किन्तु वास्तव में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफ़ारिश पर की जाती है। राज्यपाल की नियुक्ति के सम्बन्ध में निम्न दो प्रकार की प्रथाएँ बन गयी थीं-

1. किसी व्यक्ति को उस राज्य का राज्यपाल नहीं नियुक्त किया जाएगा, जिसका वह निवासी है।
2. राज्यपाल की नियुक्ति से पहले सम्बन्धित राज्य के मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किया जाएगा।
यह प्रथा 1950 से 1967 तक अपनायी गयी, लेकिन 1967 के चुनावों में जब कुछ राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारों का गठन हुआ, तब दूसरी प्रथा को समाप्त कर दिया गया और मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किए बिना राज्यपाल की नियुक्ति की जाने लगी।

राज्यपाल की कार्य अवधि
राज्यपाल राज्य में केन्द्र का प्रतिनिधि होता है तथा राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर बना रहता है। वह कभी भी पद से हटाया जा सकता है।

यद्यपि राज्यपाल की कार्य अवधि उसके पद ग्रहण की तिथि से पाँच वर्ष तक होती है, लेकिन इस पाँच वर्ष की अवधि के समापन के बाद वह तब तक अपने पद पर बना रहता है, जब तक उसका उत्तराधिकारी पद नहीं ग्रहण कर लेता। जब राज्यपाल पाँच वर्ष की अवधि की समाप्ति के बाद पद पर रहता है, तब वह प्रतिदिन के वेतन के आधार पर पद पर बना रहता है। राज्य पाल विश्विविद्यालयो का कुलपति भी ‌‌‌होता है

राज्यपाल से सम्बन्धित सरकारिया आयोग की सिफारिशें
भारतीय राजनीति में राज्यपाल का पद तथा भूमिका दीर्घ काल से विवाद का कारण रही है जिसके चलते काफी विवाद हुए हैं। सरकारिया आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस तरह की सिफारिश दी थी
1. एक राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राज्य के मुख्यमंत्री की सलाह के बाद ही राष्ट्रपति करे
2. वह जीवन के किसी क्षेत्र का महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हो
3. वह राज्य के बाहर का रहने वाला हो
4. वह राजनैतिक रूप से कम से कम पिछले 5 वर्शो से राष्ट्रीय रूप से सक्रिय ना रहा हो तथा नियुक्ति वाले राज्य में कभी भी सक्रिय ना रहा हो
5. उसे सामान्यत अपने पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने दिया जाये ताकि वह निष्पक्ष रूप से काम कर सके
6. केन्द्र पर सत्तारूढ राजनैतिक गठबन्धन का सद्स्य ऐसे राज्य का राज्यपाल नहीं बनाया जाये जो विपक्ष द्वारा शासित हो
7. राज्यपाल द्वारा पाक्षिक रिपोर्ट भेजने की प्रथा जारी रहनी चाहिए
8. यदि राज्यपाल राष्ट्रपति को अनु 356 के अधीन राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा करे तो उसे उन कारणॉ, स्थितियों का वर्णन रिकार्ड में रखना चाहिए जिनके आधार पे वह इस निष्क़र्ष पे पहुँचा हो

राज्यपालांचे कार्यकारी अधिकार

राज्यपालांचे कार्यकारी अधिकार

राज्याचा सर्व शासनव्यवहार, कामकाज राज्यपालाच्या नावाने चालतो.
छत्तीसगड, झारखंड, मध्य प्रदेश व ओडीसा राज्यामध्ये एका आदिवासी कल्याण मंत्र्याची नेमणूक.
राज्यपालाची मर्जी असेपर्यंत मंत्री पद्स्थित असतील.(कलम १६४)
राज्याचा महाधिवक्ता, राज्य निवडणूक आयुक्त,राज्य लोकसेवा आयोग अध्यक्ष व इतर सदस्य, राज्यांच्या सर्व विद्यापीठाचे कुलगुरू यांची नियुक्ती राज्यपाल करतात.
राज्यातील सर्व विद्यापीठांचे ते कुलपती असतात.
महाधिवक्ता पद राज्यपालाच्या मर्जीने धारण.
राज्यपाल मुख्यमंत्र्याकडून राज्यशासनाच्या कामकाजाच्या प्रशासनाबाबत कोणतीही माहिती तसेच विधीनियमाबाबत तरतुदीबाबत माहितीची मागणी करू शकतात.
राज्यपाल मुख्यमंत्र्याला एखाद्या मंत्र्याने घेतलेला कोणताही निर्णय मंत्रीमंडळासमोर विचारार्थ ठेवण्याबाबत भाग पाडू शकतात.
राज्यपालाचे विधिविषयक अधिकार
राज्यात विधानपरिषद असेल तर त्यावर साहित्य,विज्ञान, कला, सहकार, सामाजिक सेवा या क्षेत्रातून १/६ सदस्यांची ते नेमणूक करू शकतात.
जर विधानसभेचे अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तसेच विधान परिषदेचे सभापती व उपसभापती या दोघांची पदे एकाचवेळी रिक्त झाली तर राज्यपाल संबंधित सभागृहातील कोणत्याही सदस्याची अध्यक्ष किंवा सभापती म्हणून नेमणूक करू शकतात.
विधीमंडळाचे अधिवेशन बोलावणे किंवा तहकूब करण्याचा अधिकार राज्यपालाला आहे.
राज्यातील विधानसभा मुख्यमंत्र्यांच्या सल्ल्यानुसार ते बरखास्त करू शकतात.
राज्यपाल अभिभाषण करतात.
एखाद्या विधेयकावर चर्चा करण्याबाबत ते सभागृहाला निरोप पाठवू शकतात.
राज्यपालांना वटहुकुम काढण्याचा अधिकार
निवडणूक आयोगाशी सल्लामसलत करून विधीमंडळ सदस्याच्या अपात्रतेविषयी ते निर्णय घेत.
एखादे विधेयक मंजूर करून घेणे वा परत पाठविण्याचा किंवा राष्ट्रपतीच्या मंजुरीसाठी राखीव ठेवण्याचा अधिकार राज्यपालाला आहे.
पण राज्य विधानमंडळाने ते विधेयक परत सादर केले तर राज्यपालाना त्यास समती रोखून धरता येत नाही.
राज्यपाल धनविधेयक विधानसभेकडे पुनर्विचारासाठी पाठवू शकत नाहीत. ते त्यास समती देऊ शकतात अथवा रोखून ठेवू शकतात.
जर एखादे विधेयक राष्ट्रपतींच्या विचारार्थ राखून ठेवले त्यावेळी त्या विधेयकाच्या बाबतीत राज्यपालाची भूमिका संपुष्टात येते.
राज्य विधीमंडळाने संमत केलेले धनविधेयक राज्यपालांनी राष्ट्रपतींच्या विचारार्थ राखून ठेवल्यास राष्ट्रपती त्यास संमती देऊ शकतात किंवा नाकारू शकतात पण ते विधेयक परत पाठवू शकत नाही.
राज्यपालांचे आर्थिक अधिकार
राज्याचे वार्षिक अंदाजपत्रक राज्यपालांच्या संमतीने विधानसभेमध्ये मांडले जाते.
धनविधेयक केवळ राज्यपालांच्या पूर्वपरवानगीने सभागृहासमोर सादर केले जाते.
अनपेक्षित खर्च भागविण्यासाठी ते आपत्कालीन निधीतून खर्च करू शकतो. नंतर हा खर्च विधानसभेच्या संमतीने परत जमा करावा लागतो.
पंचायत आणि नगरपालिकांच्या आर्थिक स्थितीचा आढावा घेण्यासाठी राज्यपाल दर ५ वर्षांनी वित्त आयोगाची स्थापना करतात.
राज्यपालांच्या शिफारसीशिवाय अनुदानाची मागणी करता येत नाही.
राज्यपालांचे न्यायायिक अधिकार
राज्यातील उच्च न्यायालयातील न्यायाधीशांची नियुक्ती करताना राष्ट्रपती राज्यपालाशी सल्लामसलत
कलम २३३ नुसार, राज्यपाल उच्च न्यायालयाच्या सल्ल्याने जिल्हा न्यायाधीशांची नियुक्ती, बढती
कलम २३४ नुसार, राज्य उच्च न्यायालय व राज्य लोकसेवा आयोग यांच्या सल्ल्यानुसार ते राज्याच्या न्यायिक सेवेमध्ये व्यक्तींची नियुक्ती करतात.
राज्याच्या कार्यकारी अधिकाराच्या व्याप्तीत येणाऱ्या कायद्याविरुद्ध अपराधबद्दल एखाद्या आरोपीला क्षमा करण्याचा अधिकार
राज्यपालास मृत्युदंडास क्षमा करण्याचा अधिकार नाही. मात्र मृत्यूदंडाचा शिक्षादेश निलंबित, सूट देण्याचा किंवा तो सौम्य करण्याचा अधिकार.
राज्यपालांचे आणिबाणीविषयक अधिकार
कलम ३५६ नुसार संबंधित राज्यामध्ये राष्ट्रपती राजवट लावण्याबाबत राष्ट्रपतींना ते शिफारस करू शकतात.
राष्ट्रपती राजवटीदरम्यान त्यांच्याकडे सर्व कार्यकारी अधिकारांचे केंद्रीकरण होते.
कलम ३५६ बाबत राज्यपालांना व्यापक अधिकार असले तरी राष्ट्रपतींच्या आणीबाणीविषयक अधिकारप्रमाणे राज्यपालाचे आणीबाणीविषयक अधिकार फारच मर्यादित आहेत.
राज्यपालांचे स्वविवेकाधिकार
घटनेच्या कलम १६३ (१) नुसार राज्यपालास काही स्वविवेकाने करावयाची कामे सोपवण्यात आली आहेत. ज्याबाबत मंत्रिमंडळाचा सल्ला घेणे बंधनकारक नाही. मात्र अशी तरतूद राष्ट्रपतींसाठी नाही.
राज्य विधीमंडळाने पारित केलेले एखादे विधेयक राष्ट्रपतींच्या विचारार्थ राखीव ठेवणे. (कलम २००)
घटक राज्यात घटनात्मक यंत्रणा मोडकळीस आली असल्याचा अहवाल राष्ट्रपतींकडे सुपूर्द करून राष्ट्रपती राजवटीची शिफारस करणे (कलम ३५६) घेता स्वतंत्रपणे कार्य पार पाडता येते.
शेजारच्या केंद्रशासित प्रदेशाचा प्रशासक म्हणून कार्य करताना राज्यपालास मंत्रिमंडळाचा सल्ला न घेता स्वतंत्रपणे कार्य पार पाडता येते.

महत्वाचे प्रश्न

1) केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान कोणत्या राज्यात आहे?
उत्तर- राजस्थान

2) विशाळगड हा किल्ला कोणत्या जिल्ह्यात आहे?
उत्तर- कोल्हापूर

3)  ग्रेट बॅरियर रीफ कोणत्या ठिकाणी आहे?
उत्तर- ऑस्ट्रेलिया

4) कोटोपेक्सी नामक सक्रिय ज्वालामुखी कोणत्या देशात आहे?
उत्तर- इक्वेडोर

5) अनातोलिया चे पठार कोणत्या देशात आहे?
उत्तर- तुर्कस्तान

6) झुलू जमात कोठे आढळते ?
उत्तर- दक्षिण आफ्रिका

7) सुएझ कालवा कोणत्या दोन महासागरांना जोडतो?
उत्तर- भूमध्य सागर व लाल सागर

8) कृष्णा नदीचे उगमस्थान कोणत्या राज्यात आहे?
उत्तर- महाराष्ट्र

9) शिवसमुद्रम नदी खोरे विकास योजना कोणत्या नदीशी संबंधित आहे?
उत्तर- कावेरी

10) भारतीय रेल्वेचे दक्षिण-मध्ये झोनचे मुख्यालय कोणत्या शहरात आहे?
उत्तर- सिकंदराबाद

11) बुडापेस्ट कोणत्या देशाची राजधानी आहे?
उत्तर- हंगेरी

12) अजिंठा -वेरूळ येथील कैलास मंदिर कोणत्या वंशाच्या राज्यकर्त्यांच्या काळात निर्माण केले आहे? उत्तर- राष्ट्रकूट

13) सन  1885 मधील राष्ट्रीय सभेच्या पहिल्या अधिवेशनाचे अध्यक्ष कोण होते?
उत्तर- व्योमेशचंद्र बॅनर्जी

14) 1905 मध्ये लंडन येथे इंडिया होमरूल सोसायटीची स्थापना कोणी केली?
उत्तर- श्यामजी कृष्णा वर्मा

15) फॉरवर्ड ब्लॉकची स्थापना कोणी केली?
उत्तर- सुभाषचंद्र बोस

16) मराठा आणि केसरी या वृत्तपत्राशी कोण संबंधित आहे?
उत्तर- लोकमान्य टिळक

17) कोणत्या कायद्यान्वये भारताचा राज्यकारभार ईस्ट इंडिया कंपनीकडून महाराणी (क्राऊन) कडे गेला?
उत्तर- भारत सरकार अधिनिय 1858

18) मोर्ले-मिंटो सुधारणा कोणत्या वर्षाच्या कायद्याशी संबंधित आहे?
उत्तर- 1909

19) पहिल्या गोलमेज परिषदेचे वेळी भारताचे व्हाईसरॉय कोण होते?
उत्तर- लॉर्ड आयर्विन

20) महात्मा गांधी यांची दांडी यात्रा कोणत्या आंदोलनाशी संबंधित आहे?
उत्तर- सविनय कायदेभंग

21) poverty and Un-british Rule in india चे लेखक कोण आहेत?
उत्तर- दादाभाई नौरोजी

22) पुर्ण स्वराज्य दिवस सर्वप्रथम कोणत्या वेळी साजरा करण्यात आला?
उत्तर- 26 जानेवारी 1930

23) भारतीय घटना समितीच्या मसुदा समितीचे अध्यक्ष कोण होते?
उत्तर- डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर

24) राज्य पुर्नरचना आयोग 1953 चे अध्यक्ष कोण होते?
उत्तर- फाजलअली

25) मूलभूत अधिकाराचा समावेश घटनेच्या कोणत्या भागात केला आहे?
उत्तर- 3

26) भारतीय राज्यघटनेचे कलम 25 कशाशी संबंधित आहे?
उत्तर- धर्मस्वातंत्र्याचे अधिकार

27) कोणत्या समितीच्या शिफारशीवरून भारतीय राज्यघटनेत मूलभूत कर्तव्याचा समावेश करण्यात आला?
उत्तर- स्वर्णसिंह समिती

28) भारतीय राज्यघटनेचे कोणते कलम राष्ट्रपतीचे अध्यादेशाशी संबंधित आहे? 
उत्तर- कलम 123

29) संसदेच्या लोकलेखा समिती मध्ये जास्तीत जास्त किती सदस्य असतात?
उत्तर- 22

30) केंद्र व राज्य यांच्यातील संबंधाविषयी घटनेच्या कोणत्या प्रकरणात तरतूद आहे?
उत्तर- 11

31) जागतिक अपंग दिवस कोणत्या दिवशी साजरा केला जातो?
उत्तर- 3 डिसेंबर

32) हंबनटोटा बंदर कोणत्या देशात आहे?
उत्तर- श्रीलंका

33) सुजय कशाशी संबंधित आहे?
उत्तर- ऑफशोअर पेट्रोलिंग  व्हेसल

34) बॉक्साईट या धातुकापासून कोणते खनिज निष्कर्षण केले जाते?
उत्तर- ॲल्युमिनियम

35) कोणती शरीरातील सर्वात मोठी ग्रंथी आहे व त्यातून पित्तरस स्त्रवतो?
उत्तर- यकृत

36) आवाजाची तीव्रता मोजण्याचे परिमाण कोणते आहे?
उत्तर- डेसिबल

37) बाल्कन प्रदेश हा कोणत्या देशाच्या साम्राज्यात मोडणारा प्रदेश होता?
उत्तर- तुर्कस्तान

चालू घडामोडी.


प्र. अलीकडे हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट 2022 मध्ये कोण अव्वल आहे?
उत्तर :- एलोन मस्क

प्र. महात्मा गांधी हरित त्रिकोण कोठे अनावरण केले गेले आहे?
उत्तर :- मादागास्कर

प्र. नुकताच जागतिक निद्रा दिन २०२२ कधी साजरा करण्यात आला?
उत्तर :- १८ मार्च

प्र. अलीकडेच मिस वर्ल्ड २०२१ चा खिताब कोणी जिंकला आहे?
उत्तर :- कॅरोलिना बिलाव्स्का

प्र. प्रसिद्ध फिनटेक व्यवसाय इव्हिलिएंट टेक्नॉलॉजीज विकत घेण्याची घोषणा कोणी केली आहे?
उत्तर :- रेझरपे

प्र. नुकताच ग्लोबल रिसायकलिंग डे २०२२ कधी साजरा करण्यात आला?
उत्तर :- १८ मार्च

प्र. अलीकडेच उज्जीवन स्मॉल फायनान्स बँकेचे नवीन मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) म्हणून कोणाची नियुक्ती करण्यात आली आहे?
उत्तर :- रमेश मूर्ती

प्र. भारताचा आयुध निर्माण दिन नुकताच कधी साजरा करण्यात आला?
उत्तर :- १८ मार्च

२० एप्रिल २०२२

15 Quiz Questions On Mahatma Gandhi With Answers

15 Quiz Questions On Mahatma Gandhi With Answers

1. Who called Gandhiji as ‘Mahatma’?

Answer: Rabindranath Tagore

2. Who is considered as spiritual guru of Gandhiji?

Answer: Leo Tolstoy

3. Where was Mahatma Gandhi born?

Answer: Porbandar, India – It is a coastal city in Gujarat, also known for being the birthplace of         Sudama

4. What is Mahatma Gandhi’s first name?

Answer: Mohandas

5. What is the name of Mahatma Gandhi’s parents?

Answer: Karamchand and Putlibai Gandhi

mahatma gandhi

6. What did Gandhiji call freedom fighter Subhash Chandra Bose?

Answer: Patriot

7. What is the significance of the Gandhi Memorial in Kanyakumari?

Answer: Gandhiji’s ashes were kept here before immersion in the sea on February 12, 1948

8. When was the Mahatma Gandhi Series of banknotes issued by the Reserve Bank of India?

Answer: 1996

9. Who is the author of Gandhiji’s favourite Bhajan ‘Vaishnava jana to tene kahiye’?

Answer: Narsi Mehta – The bhajan speaks about the ideals of a Vaishnava Jana or a follower of Lord Vishnu

10. What was the civil disobedience movement where the British were asked to leave India called?

Answer: Quit India Movement

11. Who led the salt Satyagraha Movement with Gandhi?

Answer: Sarojini Naidu

12. How is the date of Mahatma Gandhi’s return to India in 1915 observed now?

Answer: Pravasi Bharatiya Divas

13. When is the International Day of Non-Violence celebrated?

Answer: October 2 — apt, isn’t it?

14. Where is Sabarmati Ashram?

Answer: Ahmedabad – It was formerly known as “Satyagraha Ashram”

15. By which name is Gandhi lovingly called by his countrymen?

Answer: Bapu – It is a Gujarati endearment for “father” or “papa

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